Tumhari Nazar Kyon Khafa Ho Gayi Songtext
von Ravi
Tumhari Nazar Kyon Khafa Ho Gayi Songtext
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही
आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी एक प्यार का
सिलसिला है
सज़ा ही सही
आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी एक प्यार का
सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी
अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तिदा हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
मुलाक़ात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मुलाक़ात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मनाने की आदत कहाँ पड़ गई
सताने की तालीम क्या हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक
लाते ही कैसे
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक
लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही
आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी एक प्यार का
सिलसिला है
सज़ा ही सही
आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी एक प्यार का
सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी
अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तिदा हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
मुलाक़ात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मुलाक़ात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मनाने की आदत कहाँ पड़ गई
सताने की तालीम क्या हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक
लाते ही कैसे
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक
लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों
खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
Writer(s): Ravi Shankar, Ludiavani Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com