Maine Ek Khwab Sa Dekha Songtext
von Asha Bhosle & Mahendra Kapoor
Maine Ek Khwab Sa Dekha Songtext
मैंने देखा है कि फूलों से लदी शाख़ों में
तुम लचकती हुई यूँ मेरी क़रीब आई हो
जैसे मुद्दत से यूँ ही साथ रहा हो अपना
जैसे अब की नहीं, सदियों की शनासाई हो
मैंने भी ख़ाब सा देखा है
कहो? तुम भी कहो?
खुद पे इतरा तो ना जाओगे?
नहीं, खुद पे नहीं
मैंने देखा है कि गाते हुए झरनों के क़रीब
अपनी बेताबी-ए-जज़्बात कही है तुम ने
काँपते होंठों से रुकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी, वो बात कही है तुम ने
आँच देने लगा क़दमों के तले बर्फ़ का फ़र्श
आज जाना कि मोहब्बत में है गर्मी कितनी
संगमरमर की तरह सख़्त बदन में तेरे
आ गई है मेरे छू लेने से नर्मी कितनी
हम चले जाते हैं, और दूर तलक कोई नहीं
हम चले जाते हैं, और दूर तलक कोई नहीं
सिर्फ़ पत्तों की चटख़ने की सदा आँकी है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझ को तुम से नहीं, अपने से हया आती है
मैं देखा है कि कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूँ चलो आज कहीं खो जाएँ
मैं ये कहती हूँ कि खोने की ज़रूरत क्या है
ओढ़कर धुँध की चादर को यहीं सो जाएँ
तुम लचकती हुई यूँ मेरी क़रीब आई हो
जैसे मुद्दत से यूँ ही साथ रहा हो अपना
जैसे अब की नहीं, सदियों की शनासाई हो
मैंने भी ख़ाब सा देखा है
कहो? तुम भी कहो?
खुद पे इतरा तो ना जाओगे?
नहीं, खुद पे नहीं
मैंने देखा है कि गाते हुए झरनों के क़रीब
अपनी बेताबी-ए-जज़्बात कही है तुम ने
काँपते होंठों से रुकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी, वो बात कही है तुम ने
आँच देने लगा क़दमों के तले बर्फ़ का फ़र्श
आज जाना कि मोहब्बत में है गर्मी कितनी
संगमरमर की तरह सख़्त बदन में तेरे
आ गई है मेरे छू लेने से नर्मी कितनी
हम चले जाते हैं, और दूर तलक कोई नहीं
हम चले जाते हैं, और दूर तलक कोई नहीं
सिर्फ़ पत्तों की चटख़ने की सदा आँकी है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझ को तुम से नहीं, अपने से हया आती है
मैं देखा है कि कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूँ चलो आज कहीं खो जाएँ
मैं ये कहती हूँ कि खोने की ज़रूरत क्या है
ओढ़कर धुँध की चादर को यहीं सो जाएँ
Writer(s): Ravi, Ludiavani Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com