Lakdi ki kathi Songtext
von Vanita Mishra, Gauri Bapat & Gurpreet Kaur
Lakdi ki kathi Songtext
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोडे की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा पोहचा चौक में, चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई
टग-बग, टग-बग
चग-बग, चग-बग
घोड़ा पोहचा चौक, में चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा था घमंडी, पोहचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ पड़ी थी, बरफ में लग गई ठंडी
टग-बग, टग-बग
टग-बग, टग-बग
घोड़ा था घमंडी, पोहचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ पड़ी थी, बरफ में लग गई ठंडी
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा अपना तगड़ा है, देखो कितनी चर्बी है
चलता है महरौली में, पर घोड़ा अपना अरबी है
घोड़ा अपना तगड़ा है, देखो कितनी चर्बी है
चलता है महरौली में, पर घोड़ा अपना अरबी है
बाँह छुड़ा के दौड़ा-दौड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोडे की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा पोहचा चौक में, चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई
टग-बग, टग-बग
चग-बग, चग-बग
घोड़ा पोहचा चौक, में चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हजामत जो बनाई
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा था घमंडी, पोहचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ पड़ी थी, बरफ में लग गई ठंडी
टग-बग, टग-बग
टग-बग, टग-बग
घोड़ा था घमंडी, पोहचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ पड़ी थी, बरफ में लग गई ठंडी
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा अपना तगड़ा है, देखो कितनी चर्बी है
चलता है महरौली में, पर घोड़ा अपना अरबी है
घोड़ा अपना तगड़ा है, देखो कितनी चर्बी है
चलता है महरौली में, पर घोड़ा अपना अरबी है
बाँह छुड़ा के दौड़ा-दौड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा, दौड़ा, दौड़ा, घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
Writer(s): Rahul Dev Burman, Sampooran Singh Gulzar Lyrics powered by www.musixmatch.com