Chor Bazaari Songtext
von Sunidhi Chauhan & Neeraj Shridhar
Chor Bazaari Songtext
चोर बाज़ारी दो नैनों की पहले थी आदत जो, हट गई
प्यार की जो तेरी-मेरी उम्र आई थी, वो कट गई
दुनिया की तो फ़िकर कहाँ थी, तेरी भी अब चिंता घट गई
तू भी तू है, मैं भी मैं हूँ, दुनिया सारी, देख, उलट गई
तू ना जाने, मैं ना जानूँ, कैसे सारी बात पलट गई
घटनी ही थी ये भी घटना, घटते-घटते लो ये घट गई
हाँ, चोर बाज़ारी दो नैनों की पहले थी आदत जो, हट गई
तारीफ़ तेरी करना, तुझे खोने से डरना
हाँ, भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफ़ा मरना
तारीफ़ तेरी करना, तुझे खोने से डरना
हाँ, भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफ़ा मरना
प्यार ख़ुमारी उतरी सारी, बातों की बदली भी छँट गई
"हम" से "मैं" पे आई ऐसे, मुझको तो मैं ही मैं रट गई
एक हुए थे दो से दोनों, दोनों की अब राहें बँट गई
अब कोई फ़िक्र नहीं, ग़म का भी ज़िक्र नहीं
हाँ, होता हूँ मैं जिस रस्ते पे, आए खुशी वहीं
आज़ाद हूँ मैं तुझसे, आज़ाद है तू मुझसे
हाँ, जो जी चाहे, जैसे चाहे, कर ले आज यहीं
लाज-शरम की छोटी-मोटी जो थी डोरी वो भी कट गई
चौक-चौबारे, गली-मोहल्ले, खोल के मैं सारे घूँघट गई
तू ना बदली, मैं ना बदला, दिल्ली सारी, देख, बदल गई
एक घूँट दुनियादारी की मैं सारी समझ निगल गई
हाँ, रंग-बिरंगा पानी पी के सीधी-सादी कुड़ी बिगड़ गई
देख के मुझको हँसता-गाता सड़ गई ये दुनिया, सड़ गई
प्यार की जो तेरी-मेरी उम्र आई थी, वो कट गई
दुनिया की तो फ़िकर कहाँ थी, तेरी भी अब चिंता घट गई
तू भी तू है, मैं भी मैं हूँ, दुनिया सारी, देख, उलट गई
तू ना जाने, मैं ना जानूँ, कैसे सारी बात पलट गई
घटनी ही थी ये भी घटना, घटते-घटते लो ये घट गई
हाँ, चोर बाज़ारी दो नैनों की पहले थी आदत जो, हट गई
तारीफ़ तेरी करना, तुझे खोने से डरना
हाँ, भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफ़ा मरना
तारीफ़ तेरी करना, तुझे खोने से डरना
हाँ, भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफ़ा मरना
प्यार ख़ुमारी उतरी सारी, बातों की बदली भी छँट गई
"हम" से "मैं" पे आई ऐसे, मुझको तो मैं ही मैं रट गई
एक हुए थे दो से दोनों, दोनों की अब राहें बँट गई
अब कोई फ़िक्र नहीं, ग़म का भी ज़िक्र नहीं
हाँ, होता हूँ मैं जिस रस्ते पे, आए खुशी वहीं
आज़ाद हूँ मैं तुझसे, आज़ाद है तू मुझसे
हाँ, जो जी चाहे, जैसे चाहे, कर ले आज यहीं
लाज-शरम की छोटी-मोटी जो थी डोरी वो भी कट गई
चौक-चौबारे, गली-मोहल्ले, खोल के मैं सारे घूँघट गई
तू ना बदली, मैं ना बदला, दिल्ली सारी, देख, बदल गई
एक घूँट दुनियादारी की मैं सारी समझ निगल गई
हाँ, रंग-बिरंगा पानी पी के सीधी-सादी कुड़ी बिगड़ गई
देख के मुझको हँसता-गाता सड़ गई ये दुनिया, सड़ गई
Writer(s): Pritam Chakraborty, Irshad Kamil Lyrics powered by www.musixmatch.com