Koi tumsa nahin Songtext
von Sonu Nigam, Shreya Ghoshal
Koi tumsa nahin Songtext
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
चाँदनी रहती है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
नींद छुपाती है जहांँ पे
नींद छुपाती है जहांँ पे
नींद छुपाती है जहांँ पे
ख़्वाब सजते है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
फूल, तितली और कलियांँ
हो गए तुमसे खफा
हो फूल, तितली और कलियांँ
हो गए तुमसे खफा
छीन ली जो तुमने इनसे
प्यार की हर इक अदा
प्यार की हर इक अदा
रंग बनता है जहांँ पे
रंग बनता है जहांँ पे
रंग बनता है जहां पे
रूप मिलता है जहांँ से
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
मेरे दिल के चोर हो तुम
क्या तुम्हें एहसास है?
हा, मेरे दिल के चोर हो तुम
क्या तुम्हें एहसास है?
इश्क़ का दुनियांँ में जितना
सब तुम्हारे पास है
सब तुम्हारे पास है
है दीवानापन जहांँ पे
ओ, है दीवानापन जहांँ पे
है दीवानापन जहांँ पे
बनते है आशिक़ जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
चांँदनी रहती है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
चाँदनी रहती है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
नींद छुपाती है जहांँ पे
नींद छुपाती है जहांँ पे
नींद छुपाती है जहांँ पे
ख़्वाब सजते है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
फूल, तितली और कलियांँ
हो गए तुमसे खफा
हो फूल, तितली और कलियांँ
हो गए तुमसे खफा
छीन ली जो तुमने इनसे
प्यार की हर इक अदा
प्यार की हर इक अदा
रंग बनता है जहांँ पे
रंग बनता है जहांँ पे
रंग बनता है जहां पे
रूप मिलता है जहांँ से
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
मेरे दिल के चोर हो तुम
क्या तुम्हें एहसास है?
हा, मेरे दिल के चोर हो तुम
क्या तुम्हें एहसास है?
इश्क़ का दुनियांँ में जितना
सब तुम्हारे पास है
सब तुम्हारे पास है
है दीवानापन जहांँ पे
ओ, है दीवानापन जहांँ पे
है दीवानापन जहांँ पे
बनते है आशिक़ जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
धूप निकलती है जहांँ से
चांँदनी रहती है जहांँ पे
ख़बर ये आई है वहांँ से
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
कोई तुमसा नहीं, ओ कोई तुमसा नहीं
Writer(s): Nasir Faraaz Lyrics powered by www.musixmatch.com