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Man Re Tu Kahe Na Songtext
von Mohammed Rafi

Man Re Tu Kahe Na Songtext

मन रे, तू काहे ना धीर धरे?
वो निर्मोही, मोह ना जाने
जिनका मोह करें
मन रे, तू काहे ना धीर धरे?

इस जीवन की चढ़ती-ढलती
धूप को किस ने बाँधा?
रंग पे किस ने पहरे डाले?
रूप को किस ने बाँधा?


काहे ये जतन करे?
मन रे, तू काहे ना धीर धरे?

उतना ही उपकार समझ
कोई जितना साथ निभा दे
जनम-मरन का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे

कोई ना संग मरे
मन रे, तू काहे ना धीर धरे?
वो निर्मोही, मोह ना जाने
जिनका मोह करें
हो, मन रे, तू काहे ना धीर धरे?

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