Khuda Huzoor Ko Songtext
von Asha Bhosle & Usha Mangeshkar
Khuda Huzoor Ko Songtext
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
जिएगा कैसे अँधेरे में कोई परवाना?
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
ख़ुदा हुज़ूर को...
रहे हुज़ूर की हम पर अगर निगाह-ए-करम
तो हम ख़ुदा को ना ढूँढें कभी ख़ुदा की क़सम
रहे हुज़ूर की हम पर अगर निगाह-ए-करम
तो हम ख़ुदा को ना ढूँढें कभी ख़ुदा की क़सम
हमारे वास्ते जन्नत हैं आप की बाँहें
हमारे वास्ते जन्नत हैं आप की बाँहें
हिला सकेगी ना दुनिया कभी वफ़ा के क़दम
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ख़ुदा हुज़ूर को...
वो बिजलियाँ हैं...
वो बिजलियाँ हैं नज़र में जो बादलों में नहीं
हाँ, शराब और भी है...
शराब और भी है सिर्फ़ बोतलों में नहीं
वो बिजलियाँ हैं नज़र में जो बादलों में नहीं
शराब और भी है सिर्फ़ बोतलों में नहीं
ज़रा सी बात है दुनिया अगर इसे समझे
ज़रा सी बात, ज़रा सी बात
ज़रा सी बात है दुनिया अगर इसे समझे
वो शम्मा दिल में जो जलती है महफ़िलों में नहीं
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
जिएगा कैसे अँधेरे में कोई परवाना?
ख़ुदा हुज़ूर को
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
जिएगा कैसे अँधेरे में कोई परवाना?
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
ख़ुदा हुज़ूर को...
रहे हुज़ूर की हम पर अगर निगाह-ए-करम
तो हम ख़ुदा को ना ढूँढें कभी ख़ुदा की क़सम
रहे हुज़ूर की हम पर अगर निगाह-ए-करम
तो हम ख़ुदा को ना ढूँढें कभी ख़ुदा की क़सम
हमारे वास्ते जन्नत हैं आप की बाँहें
हमारे वास्ते जन्नत हैं आप की बाँहें
हिला सकेगी ना दुनिया कभी वफ़ा के क़दम
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ख़ुदा हुज़ूर को...
वो बिजलियाँ हैं...
वो बिजलियाँ हैं नज़र में जो बादलों में नहीं
हाँ, शराब और भी है...
शराब और भी है सिर्फ़ बोतलों में नहीं
वो बिजलियाँ हैं नज़र में जो बादलों में नहीं
शराब और भी है सिर्फ़ बोतलों में नहीं
ज़रा सी बात है दुनिया अगर इसे समझे
ज़रा सी बात, ज़रा सी बात
ज़रा सी बात है दुनिया अगर इसे समझे
वो शम्मा दिल में जो जलती है महफ़िलों में नहीं
ख़ुदा हुज़ूर को मेरी भी ज़िंदगी दे-दे
बग़ैर आप के बेहतर है मेरा मर जाना
ना होगी शम्मा तो महफ़िल का रंग क्या होगा?
जिएगा कैसे अँधेरे में कोई परवाना?
ख़ुदा हुज़ूर को
Writer(s): Onkar Prasad Nayyar, S H Bihari Lyrics powered by www.musixmatch.com