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Kya Sach Hai Kya Jhooth Hai Songtext
von Jagjit Singh

Kya Sach Hai Kya Jhooth Hai Songtext

क्या सच है, क्या झूठ है
क्या सच है, क्या झूठ है

जीवन की किसे पहचान
समझा है किसने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है, क्या झूठ है

जैसे राख़ के अंदर कोई
अंगारा रह जाता है जलने के लिए
मौन समर्पण में भी तो
विद्रोह पनपता रहता है मिटने के लिए

जानी किसने पीर पराई
खिलने से पहले मुरझाई
अधरों की मुस्कान

समझा है किसने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है, क्या झूठ है


जीवन की किसे पहचान
समझा है किसने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है, क्या झूठ है

जीना बस की बात नहीं है
मरने का अधिकार नहीं, छलना है बड़ी
साँसों पर पहरा बैठा है
जीने में भी सार नहीं, टूटी है कड़ी

झूठे रिश्ते-नाते सारे
अपने ही सपनों से हारे
उलझन में है प्राण

समझा है किसने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है, क्या झूठ है

जीवन है लक्ष्मण रेखा
जिनसे ना इसको देखा, गिरता ही गया
कस्तूरी मृग की तरह
भटका वो जंगल-जंगल, घिरता ही गया

पूरी ना होती हैं चाहें
कितनी अनजानी हैं राहें
मंज़िल है अनजान


समझा है किसने इसे आज तक
किसके हाथों में है ये कमान
क्या सच है, क्या झूठ है

क्या सच है, क्या झूठ है
क्या सच है, क्या झूठ है

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