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Kisi Ki Yaad Men Duniya Ko Songtext
von Mohammed Rafi

Kisi Ki Yaad Men Duniya Ko Songtext

किसी की याद में दुनियाँ को हैं भुलाए हुए
किसी की याद में दुनियाँ को हैं भुलाए हुए
ज़माना गुज़रा है अपना ख़याल आए हुए
ज़माना गुज़रा है अपना ख़याल आए हुए

बड़ी अज़ीब ख़ुशी है ग़म-ए-मोहब्बत भी
बड़ी अज़ीब ख़ुशी है ग़म-ए-मोहब्बत भी
हसीं लबों पे, मगर दिल पे चोट खाए हुए
किसी की याद में दुनियाँ को हैं भुलाए हुए


हज़ार परदे हों, पहरे हों, या हों दीवारें
हज़ार परदे हों, पहरे हों, या हों दीवारें
रहेंगे मेरी नज़र में तो वो समाए हुए
किसी की याद में दुनियाँ को हैं भुलाए हुए

किसी के हुस्न की बस एक किरण ही काफ़ी है
किसी के हुस्न की बस एक किरण ही काफ़ी है
ये लोग क्यूँ मेरे आगे हैं शम्मा लाए हुए?
ये लोग क्यूँ मेरे आगे हैं शम्मा लाए हुए?

किसी की याद में दुनियाँ को हैं भुलाए हुए
ज़माना गुज़रा है अपना ख़याल आए हुए

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