Apno Ko Jo Thukrayega Songtext
von Mohammed Rafi
Apno Ko Jo Thukrayega Songtext
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
एक पल की ग़लतफ़हमी के लिए सारा जीवन पछताएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
तूने समझा है जीत जिसे वो बन जाएगी हार कभी
तूने समझा है जीत जिसे वो बन जाएगी हार कभी
ये मान तेरा, अभिमान तेरा तुझ पे ही करेगा वार कभी
ये चोट सही ना जाएगी, ये दर्द सहा ना जाएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
शादी दो दिन का मेल नहीं, गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं
ये प्यार है दो इंसानों का, ये इश्क़ नहीं दीवानों का
इसमें ज़िद का कुछ काम नहीं, ये जीवन है, संग्राम नहीं
भूलोगे तो खो जाओगे, तुम दूर बहुत हो जाओगे
तुम दूर बहुत हो जाओगे
(तो क्या हुआ? हम बच्चों के सहारे जिएँगे)
बच्चों के साथ गुज़र कब तक? ये देंगे साथ, मगर कब तक?
जब वो भी हो जाएँगे बड़े, तुम सोचोगे ये दूर खड़े
"क्या सच है और क्या सपना है? अब दुनिया में क्या अपना है?"
(क्या है अपना? अपना क्या है? क्या है अपना?)
इसलिए ये बंधन मत तोड़ो, अपनी मर्यादा मत छोड़ो
इसलिए ये बंधन मत तोड़ो, अपनी मर्यादा मत छोड़ो
आपस में जो टकराओगे तो टूट के बस रह जाओगे
तो टूट के बस रह जाओगे
देखेगा शक का पिंजरा तो सुख का पंछी उड़ जाएगा
देखेगा शक का पिंजरा तो सुख का पंछी उड़ जाएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
एक पल की ग़लतफ़हमी के लिए सारा जीवन पछताएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
तूने समझा है जीत जिसे वो बन जाएगी हार कभी
तूने समझा है जीत जिसे वो बन जाएगी हार कभी
ये मान तेरा, अभिमान तेरा तुझ पे ही करेगा वार कभी
ये चोट सही ना जाएगी, ये दर्द सहा ना जाएगा
अपनों को जो ठुकराएगा, ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
शादी दो दिन का मेल नहीं, गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं
ये प्यार है दो इंसानों का, ये इश्क़ नहीं दीवानों का
इसमें ज़िद का कुछ काम नहीं, ये जीवन है, संग्राम नहीं
भूलोगे तो खो जाओगे, तुम दूर बहुत हो जाओगे
तुम दूर बहुत हो जाओगे
(तो क्या हुआ? हम बच्चों के सहारे जिएँगे)
बच्चों के साथ गुज़र कब तक? ये देंगे साथ, मगर कब तक?
जब वो भी हो जाएँगे बड़े, तुम सोचोगे ये दूर खड़े
"क्या सच है और क्या सपना है? अब दुनिया में क्या अपना है?"
(क्या है अपना? अपना क्या है? क्या है अपना?)
इसलिए ये बंधन मत तोड़ो, अपनी मर्यादा मत छोड़ो
इसलिए ये बंधन मत तोड़ो, अपनी मर्यादा मत छोड़ो
आपस में जो टकराओगे तो टूट के बस रह जाओगे
तो टूट के बस रह जाओगे
देखेगा शक का पिंजरा तो सुख का पंछी उड़ जाएगा
देखेगा शक का पिंजरा तो सुख का पंछी उड़ जाएगा
Writer(s): Anand Bakshi, Laxmikant Pyarelal Lyrics powered by www.musixmatch.com
